गलत तरीके से त्रिफला चूर्ण का सेवन करना शुरु कर दिया तो इससे समस्या बढ़ जाती है । क्योंकि अक्सर लोग यह नहीं जानते कि त्रिफला चूर्ण की तासीर कैसी होती है । इस बात की जानकारी ना होने की वजह से जरूरत से ज्यादा और लम्बे समय तक इसका सेवन करना शरीर को नुक्सान पहुंचाएगा । इसी कारण से जो लोग त्रिफला चूर्ण का सेवन करते हैं लम्बे समय के लिए उन्हें इस बात की जानकारी होना काफी जरूरी है कि त्रिफला चूर्ण की तासीर कैसी होती है ।
आयुर्वेद के अनुसार त्रिफला चूर्ण गर्म होता है यानी इसकी तासीर गर्म होती है । हालाँकि त्रिफला चूर्ण में त्रिफला के अलावा भी अन्य सामग्रियां भी मिलाई जाती हैं जैसे कि आंवला, हरड़, बहेड़ा आदि । इनमें शामिल अधिकतर सामग्रियों की तासीर गर्म होती है जैसे कि हरड़ और बहेड़ा की, जबकि आंवला ठंडा होता है । इसका मतलब त्रिफला चूर्ण में शामिल कुछ ही सामग्रियां ऐसी हैं जिसकी तासीर ठंडी हैं जबकि अधिकतर सामग्रियां इसमें जो शामिल हैं वह गर्म तासीर वाली हैं ।
त्रिफला चूर्ण में मुख्य रूप से त्रिफला की ही मात्रा सबसे ज्यादा मिली हुई होती है । इसी को ध्यान में रखते हुए अगर सवाल पूछा जाए कि त्रिफला चूर्ण की तासीर कैसी होती है तो ऐसे में जवाब यही निकल कर आता है कि त्रिफला चूर्ण की तासीर गर्म होती है और इसका मुख्य कारण है इस चूर्ण में त्रिफला का ज्यादा मात्रा में शामिल किया जाना क्योंकि त्रिफला की तासीर खुद ही गर्म वाली होती है ।
इसकी गर्म तासीर को देखते हुए कब्ज की समस्या के निजात पाने के लिए सीमित मात्रा में इसका सेवन करना चाहिए । क्योंकि ज्यादा सेवन त्रिफला चूर्ण का ज्यादा सेवन अगर गर्मियों के मौसम में कर लिया तो इससे कब्ज तो दूर हो जाएगी लेकिन दस्त लग जाएगी । क्योंकि त्रिफला चूर्ण ज्यादा मात्रा में पेट में जब जाएगा तब पेट में ज्यादा गर्मी बढ़ेगी, मौसम भी गर्मी का है, जिसकी वजह से दस्त लगना तो तय है । सर्दियों में इसके सेवन का कोई डर नहीं । फिर भी त्रिफला चूर्ण की पैकिंग में ही इसका सेवन करने का तरीका दिया गया होता है ।