अधिकतर लोगों को सही जानकारी पता ही नहीं है कि पुनर्नवा की तासीर कैसी होती है । क्योंकि तकरीबन हर जगह इसके बारे में गलत ही जानकारी दी जा रही है । हमने काफी रिसर्च की है और कुछ आयुर्वेदिक डॉक्टर्स से राय ली, जिसके बाद हमें पता चला कि पुनर्नवा की तासीर कैसी होती है यानी क्या पुनर्नवा गर्म होती है या ठंडी । हालाँकि इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से लीवर की समस्या ठीक करने, शरीर में उर्जा वापिस लाने के लिए और अंगों के काम करने की क्षमता वापिस लाने के लिए किया जाता है ।

आयुर्वेद के अनुसार पुनर्नवा ठंडा नहीं होता बल्कि यह गर्म होता है । भगवान, ऋषियों-मुनियों के समय से आयुर्वेद का ज्ञान ही चलता आ रहा है और उनके हिसाब से पुनर्नवा की तासीर गर्म होती है । जबकि कुछ लोग इसकी तासीर ठंडी बताते हैं जो हो सकता है वह जानकारी ही गलत हो, लेकिन उसका दावा बिना परीक्ष्ण के नहीं किया जा सकता है । लेकिन आयुर्वेद के हिसाब से तो पुनर्नवा की तासीर ही गर्म है ।
इसकी गर्म तासीर के कारण ही यह वात, पित्त और कफ समस्या से राहत दिलाती है । इसके अलावा किडनी की समस्या ठीक करने के लिए यह काफी ज्यादा लाभदायक है । इसी के साथ अंगों के काम करने की क्षमता खो जाने पर भी यह काफी सहायता प्रदान करती है, जो काफी अच्छी बात है । इन्सान के अंग जो सही ढंग से काम नहीं कर रहे दवाइयां खाने के बावजूद भी, उन्हें आयुर्वेदिक डॉक्टर पुनर्नवा का ही सेव करने के लिए कहते हैं जो पाउडर, लिक्विड और जड़-डंडी के रूप में आता है ।
तासीर इसकी चाहे गर्म ही क्यों ना हो, जबकि किसी बीमारी को ठीक करने के लिए किसी भी मौसम में इसका सेवन करना ठीक रहेगा । क्योंकि यह छोटी से लेकर बड़ी बीमारियों में काफी लाभदायक हुई हैं जैसे कि किडनी में पैदा होने वाली समस्या, मूत्र रोग, लीवर को लेकर समस्या, पेट जुड़ी कोई समस्या, वात, कफ, पित, खांसी और भी कई समस्या इसके पत्ते और इसकी जड़ ही सबसे ज्यादा उपयोग में ली जाती है ।
लेकिन इसकी गर्म तासीर को देखते हुए ही सीमित मात्रा में इसका सेवन करना चाहिए क्योंकि यह शायद वात रोग की समस्या को बढ़ा सकता है । इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को गर्मियों के मौसम में इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से जरुर पूछना चाहिए और इसका मुख्य कारण इसकी गर्म तासीर का है ।