नीम की तासीर कैसी होती है

नीम के पत्तों का सेवन दवाइयों में तो होता ही है । लेकिन कुछ लोग इसका सेवन करते हैं जूस के रूप में और किसी बिमारी को ठीक करने के लिए । किसी बिमारी को ठीक करने के लिए ही इसका सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है । जब इसे खाने की बारी आती है तब इसके पत्ते ही अक्सर खाए जाते हैं जबकि बीज बेहद ही कम । क्योंकि नीम के पत्ते ही सबसे ज्यादा लाभकारी होती है ।

neem ki taseer kaisi hoti hai

नीम के पत्तों की तासीर ठंडी होती है । इसीलिए इसका सेवन जूस के रूप में करना ज्यादा फायदेमंद होता है । इसका मतलब गर्मियों के मौसम में ठंडा नीम का जूस पीना काफी लाभकारी होती है जो पेट में ठंडक देने में काफी सहायता प्रदान करता है, किन्तु यह कड़वा ज्यादा होता है । जबकि पेट के लिए यह काफी ज्यादा लाभदायक होता है । ज्यादा कड़वा भले ही हो, लेकिन हर रोज नहीं बल्कि कुछ दिनों बाद ही इसका सेवन करना चाहिए ।

ऐसा बताया जाता है कि छोटी उम्र के बच्चों के लिए नीम सही नहीं रहती है क्योंकि उन्हें सीमित मात्रा में ही देने होती है । इसका मतलब अगर आप अपने बच्चों को अत्यधिक गर्मी से बचाव के लिए उन्हें नीम के पत्तों का या उसके जूस का सेवन करने को कह रहे हैं तो ऐसे में यह सही उपाय शायद नहीं होगा । गर्मी के बचाव के लिए अन्य जूस को चुना जाना चाहिए जो ठंडक प्रदान करेगा ।

आयुर्वेद में नीम को अच्छी औषधि बताई गई है क्योंकि यह कई बीमारियों के इलाज के साथ-साथ पाचन तंत्र में उपयोगी है । जैसे कि हमने आपको बताया था कि इसकी ठंडी तासीर होती है । उसकी वजह से पेट को ठंडक मिलती है, जिससे पेट बिगड़ने की समस्या कम हो जाती है और यह साथ में गंदे पदार्थों को भी बाहर करने में काफी उपयोगी है ।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *